यौगिक जीवनशैली है रोगों का स्थाई समाधान
पिछले 25 वर्षों से दुनियां में ऑफिस में बैठकर कार्य करने के चलन में तीव्र वृद्धि हुई है। अधिकांशत: ऑफिस में बैठकर कार्य करने वाले कर्मचारियों को लगातार कई-कई घंटों तक बैठकर कार्य करना होता है। काफी समय तक लगातार बैठे रहने से कई स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के खतरे (जोखिम) बढ़ जाते हैं, जैसे- मस्कुलो स्केलेटल प्रॉब्लम्स, मोटापा, मधुमेह आदि। इसके अलावा काफी लम्बे समय से लगातार बैठकर कार्य करने से हमारे मस्तिष्क में होने वाले रक्त प्रवाह में भी कमी आती है। हॉल ही में हुए एक अध्ययन में देखा गया है कि लगातार २ घंटे तक बैठे रहने पर हमारी मध्य मस्तिष्क धमनी (Middle Cerebral Artery) में होने वाले रक्त प्रवाह में औसत रूप से ३.२ ± १.२ cm/sec की कमी देखी गई है। ध्यान देने वाली बात यह है कि मध्य मस्तिष्क धमनी (Middle Cerebral Artery) हमारे मस्तिष्क में रक्त प्रवाह के लिए सबसे बड़ी व मुख्य धमनी हैं।
काफी लम्बे समय तक यदि मस्तिष्क में रक्त प्रवाह में कमी होती है तो इसका बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव हमारे संज्ञानात्मक कार्यों (जैसे एकाग्रता, याद्दाश्त, सीखने की क्षमता, बातचीत करने क्षमता इत्यादि) पर भी होता है। इसके साथ-साथ भविष्य में मनोभ्रंश (Dementia) का खतरा भी मस्तिष्क में लगातार रक्त प्रवाह में होने वाली कमी से बढ़ता है। अत: हमें एक ऐसे समाधान की आवश्यकता है जो लगातार बैठे रहने से होने वाले दुष्प्रभावों को दूर करने में हमारी मदद कर सके।
हाल ही में हुए एक अध्ययन में देखा गया है कि प्रत्येक आधे घंटे बैठकर कार्य करने के बाद यदि २ मिनट तक टे्रडमिल पर एक मध्यम गति से चला जाए तो लगातार बैठने के कारण मस्तिष्क में होने वाले रक्त प्रवाह में कमी से बचा जा सकता है। किन्तु यह प्रयोग प्रैक्टिकली संभव नहीं है क्योंकि सभी कार्यालयों में टे्रडमिल उपस्थित नहीं कराया जा सकता।
इस समस्या का वास्तविक समाधान योगासनों के द्वारा किया जा सकता है। पूज्य योगऋषि स्वामी रामदेव जी महाराज द्वारा सुझावी कुछ आसानों का अभ्यास किया जाए तो लगातार बैठे रहने के कारण मस्तिष्क में होने वाले रक्त प्रवाह में कमी से बचा जा सकता है। इसके साथ ही साथ ये आसन मस्कुलो स्केलेटल सम्बंधी समस्याओं, मोटापा, व टाईप-2 डायबिटीज के रोकथाम में भी उपयोगी है।
उदाहरण के लिए कुछ आसनों को नीचे दिया गया है-ताड़ासन, त्रिर्यक ताड़़ासन, कोणासन, पाद हस्तासन, त्रिकोणासन इत्यादि महत्वपूर्ण आसन हैं लगातार एक घंटा बैठकर कार्य करने के पश्चात इनमें से किसी भी एक आसन का 2 मिनट के लिए अभ्यास करें तो मस्तिष्क में रक्त प्रवाह का संचार सुचारू रूप से बना रहता है। सुबह 30 मिनट का योग दिलाएगा अनेक रोग से छुटकारा
सर्वांगासन से मिलते हैं जबरदस्त फायदे

लंबे समय तक बैठने के नुकसान क्या हैं?
आजकल की ऑफिस लाइफस्टाइल में लंबे समय तक बैठने के नुकसान बेहद गंभीर हो सकते हैं। लगातार कुर्सी पर बैठने से मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, जिससे मोटापा, हार्ट प्रॉब्लम और डायबिटीज जैसी समस्याएँ जन्म लेती हैं। कई स्टडीज में यह बात सामने आई है कि अधिक देर तक बैठना धूम्रपान जितना ही खतरनाक हो सकता है।
ऑफिस में बैठने से होने वाली बीमारियाँ
ऑफिस में बैठने से होने वाली बीमारियाँ जैसे पीठ दर्द, गर्दन में जकड़न, आँखों में तनाव और माइग्रेन आज की सामान्य समस्याएँ बन गई हैं। लगातार कंप्यूटर स्क्रीन पर देखने से आंखों पर असर पड़ता है और शरीर में थकान बनी रहती है। गलत पोस्चर इस परेशानी को और बढ़ा देता है।
बैठने के नुकसान से कैसे बचें?
बैठने के नुकसान से बचने के लिए हर 30 मिनट बाद उठकर थोड़ा चलना, स्ट्रेच करना और कुर्सी का सही एर्गोनॉमिक सपोर्ट होना जरूरी है। बैठते समय पीठ सीधी रखें और पैरों को जमीन पर टिकाकर रखें।
ऑफिस वर्कर्स के लिए योग के फायदे
ऑफिस वर्कर्स के लिए योग एक वरदान है। रोज सुबह 15-20 मिनट का योग न केवल शरीर को लचीला बनाता है, बल्कि मन को भी शांत करता है। खासकर ताड़ासन, भुजंगासन और अर्ध चक्रासन जैसे योग ऑफिस वर्कर्स के लिए बेहद लाभदायक हैं। ये आसन पीठ और रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाते हैं।
पीठ दर्द से बचने के उपाय
पीठ दर्द से बचने के उपाय में सबसे जरूरी है कुर्सी का सही उपयोग और बैठने का सही तरीका। लेपटॉप या कंप्यूटर स्क्रीन को आंखों के लेवल पर रखें, कुर्सी पर कमर के पीछे एक कुशन लगाएं, और नियमित रूप से गर्दन व कंधों की एक्सरसाइज करें।
क्या हर 30 मिनट में उठना जरूरी है?
जी हाँ! हर 30 मिनट के भीतर कुछ कदम चलना या हाथ-पैर हिलाना बेहद जरूरी है। यह रक्त संचार ठीक करता है और आलस दूर करता है।
⚠️ डिस्क्लेमर:
अस्वीकरण: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी योग या स्वास्थ्य उपाय को अपनाने से पहले विशेषज्ञ या चिकित्सक की सलाह अवश्य लें। लेखक और वेबसाइट किसी भी तरह की जिम्मेदारी का दावा नहीं करते।
