भगवान शिव को सावन का महीना विशेष प्रिय है। मान्यता है कि सावन में शिव की पूजा करने से सभी दुखों का नाश होता है। ऐसा माना जाता है कि इस माह में की गई शिव पूजा तत्काल शुभ फलदायी होती है। इसके पीछे स्वयं शिव का ही वरदान है। दैहिक, दैविक व भौतिक तपों का नाश करने वाले शंकर भगवान की भक्तिपूर्वक पूजा करने से सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं। देवों के देव महादेव ने सृष्टि की रक्षा के लिए समुद्र मंथन से निकला हलाहल विष पी लिया था। विष का ताप इतना ज्यादा था कि इंद्रदेव ने वर्षा करके उन्हें शीतल किया था। कहते हैं कि यह घटना सावन माह में घटी थी।
शिव के स्मरण मात्र से ही सब दुख दूर हो जाते हैं। वो एक ओर महायोगी हैं वहीं पार्वती से प्रेम विवाह भी किया है। जब भी किसी जोड़े को आशीर्वाद दिया जाता है तो उन्हें शिव पार्वती की उपमा से ही सुशोभित किया जाता है। शिव जीवन और मृत्यु, विनाश और पुनर्जन्म के देवता हैं। उन्हें 1008 अलग-अलग नामों से जाना जाता है। हिदू धर्म में सबसे बड़े देवता के रूप में, शिव को उनके दिव्य परिवार, उनकी असाधारण शक्तियों, उनके रूप और उनके लाखों भक्तों के लिए जाना जाता है। शिव के साथ जब तक शक्ति है तभी तक वो शिव कहलाते हैं। बिना शक्ति के शव के समान हो जाते हैं। उनका अर्धनारीश्वर रूप इसी बात का प्रतीक है।

