मूँगफली शक्ति से भरपूर है। इसकी पौष्टिकता को ‘देशी काजू’, ‘गरीबों का मेवा’, ‘चीनिया बादाम’ आदि कहकर नवाजा जाता है । इसका प्रोटीन सोयाबीन व पनीर से प्राप्त प्रोटीन से उच्च कोटि का होता है।
मूँगफली में कैल्शियम, लौह, फॉलिक एसिड, वसा, रेशे (फाइबर्स), मैग्नेशियम, फॉस्फोरस प्रचुर मात्रा में पाये जाने के कारण यह एक उत्तम पौष्टिक पदार्थ है। इसमें प्रोटीन गेहूँ से दुगना रहता है। गेहूँ की रोटी
के साथ-साथ २५-३० ग्राम भुनी हुई बिना नमक की मूँगफली नियमित खाने से प्रोटीन की आवश्यक मात्रा की पूर्ति में सहायता मिलती है।
औषधीय प्रयोग
मातृदुग्धवृद्धि हेतु : दूध पिलानेवाली माताओं को मूँगफली खिलाने से दूध में वृद्धि होती है तथा उनके बच्चों में प्रोटीन की कमी नहीं हो पाती । तली हुई मूँगफली के बजाय भुनी हुई मूँगफली सुपाच्य होती है।
सूखा रोग (rickets) व रक्ताल्पता (anaemia) में भुनी हुई मूँगफली के दानों का चूर्ण और मिश्री-चूर्ण मिला के अथवा मूँगफली व गुड़ की चिक्की बनाकर सूखा रोग से ग्रसित बच्चों को खिलाने से लाभ होता है। रक्ताल्पता में सेंकी हुई मूँगफली व गुड़ खाने से खूब लाभ होता है।
मूँगफती के तेल के गुण
आयुर्वेद के अनुसार मूँगफली का तेल मधुर रसयुक्त, स्निग्ध, कफ-वायुशामक, घाव को भरनेवाला, वर्ण-निखारक एवं पौष्टिक होता है।
भोजन में इसका प्रयोग करने से दस्त साफ आता है। आधुनिक अनुसंधानों के अनुसार मूँगफली के तेल में प्रचुर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट, पॉली- अनसेच्युरेटेड एवं मोनो-अनसेच्युरेटेड फेटी एसिड्स, पॉलीफिनोल्स व स्टेरॉल्स पाये जाते हैं, जिसके कारण यह हृदय एवं रक्तवाहिनियों से संबंधित रोग, मधुमेह (डायबिटीज), प्रोस्टेट कैंसर, स्तन कैंसर आदि विभिन्न रोगों से रक्षा करने में सहायक है। यह तेल स्नायुओं को मजबूत एवं शक्तिशाली बनाता है।
ध्यान दें : मूँगफली के तेल के जो गुण इस लेख में दिये गये हैं वे कच्ची घानी के तेल के हैं। रिफाइंड तेल में ये गुण नहीं पाये जाते हैं। वह इससे विपरीत गुणों से युक्त होता है।

⚠️ डिस्क्लेमर:
अस्वीकरण: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी योग या स्वास्थ्य उपाय को अपनाने से पहले विशेषज्ञ या चिकित्सक की सलाह अवश्य लें। लेखक और वेबसाइट किसी भी तरह की जिम्मेदारी का दावा नहीं करते।

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