पेट के व अन्य मसाले अजवायन में
“वर्षा ऋतु में अजवायन का सेवन पेट और पाचन से जुड़ी समस्याओं के लिए बेहद लाभकारी होता है।”
अजवायन उष्ण, तीक्ष्ण, जठराग्निवर्धक, उत्तम वायु-कफनाशक, आमपाचक व पित्तवर्धक है । वर्षा ऋतु (21 जून से 23 अगस्त) में होनेवाले पेट के विकारों, जोड़ों के दर्द, कृमि-रोग तथा कफजन्य विकारों में अजवायन खूब लाभदायी है ।
औषधीय प्रयोग (Medicinal uses)
* भोजन से आधे घंटे पहले अजवायन में थोड़ा-सा काला नमक मिलाकर गुनगुने पानी के साथ लेने से मंदाग्नि, अजीर्ण, अफरा (सरी), पेट के दर्द एवं अम्लपित्त (hyperacidity) में राहत मिलती है ।
* भोजन के पहले कौर के साथ अजवायन खाने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है ।
* अजवायन और तिल समभाग मिलाकर दिन में 1-2 बार खाने से अधिक मात्रा में व बार-बार पेशाब आने की समस्या में राहत मिलती है ।
* अजवायन और एक लौंग का चूर्ण शहद* मिलाकर चाटने से उलटी में लाभ होता है ।
* 15 से 30 दिनों तक भोजन के बाद या बीच में गुनगुने पानी के साथ अजवायन लेने से मासिक धर्म के समय होनेवाली पीड़ा में राहत मिलती है । (यदि मासिक अधिक आता हो, गर्मी अधिक हो तो उक्त प्रयोग न करें । सुबह खाली पेट 2 से 4 गिलास पानी पीने से अनियमित मासिक स्राव में लाभ होता है ।)
उपरोक्त सभी प्रयोगों में अजवायन की सेवन-मात्रा : आधा से 2 ग्राम ।
अजवायन का तेल (Carum oil)
लाभ (Advantages) : अजवायन के तेल की मालिश संधिवात (arthritis) और गठिया में खूब लाभदायी है ।
तेल बनाने की विधि(Preparation of oil) : 250 मि.ली. तिल के तेल को गरम करके नीचे उतार लें । इसमें 15 से 20 ग्राम अजवायन डालकर कुछ देर ढक के रखें फिर छान लें । अजवायन का तेल तैयार ! इससे दिन में 2 बार मालिश करें ।
सावधानी(Precaution:) : ग्रीष्म व शरद ऋतु में तथा पित्त प्रकृति वालों को अजवायन का उपयोग अत्यल्प मात्रा में करना चाहिए ।

⚠️ डिस्क्लेमर:
अस्वीकरण: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी योग या स्वास्थ्य उपाय को अपनाने से पहले विशेषज्ञ या चिकित्सक की सलाह अवश्य लें। लेखक और वेबसाइट किसी भी तरह की जिम्मेदारी का दावा नहीं करते।
