एकादशी व्रत के नियम
एकादशी उपवास एकादशी का उपवास सभी गृहस्थों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और लाभकारी है। पूज्य बापूजी कहते हैं कि “उपवास” […]
एकादशी उपवास एकादशी का उपवास सभी गृहस्थों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और लाभकारी है। पूज्य बापूजी कहते हैं कि “उपवास” […]
हिन्दू धर्म में गाय को बहुत पवित्र माना गया है। अनेक अवसरों पर गाय की पूजा भी हिन्दू धर्म में की जाती है। गाय का गोबर और मूत्र का उपयोग विभिन्न प्रकार के कर्मकाण्डों में करते आये है, मान्यता तो यहां तक है कि जो व्यक्ति नियमित रूप से गौमूत्र का सेवन करता है उसे अनेक बीमारियों से बचाया जा सकता है। गौमूत्र में अनेकों ऐसी ही खास बातें है जो प्राचीन काल से आज तक इसके महत्वों को कम नहीं होने देती है। जब वैज्ञानिकों ने गौमूत्र पर गहन अध्ययन किया तो पाया की इसमें विषनाशक गुण पाया जाता है पाचन क्रिया को सुदढ़ करने का गुण गौमूत्र में पाया जाता है। इसमें नाइट्रोजन, कॉपर, फॉस्फेट, यूरिक एसिड़, पौटेशियम, यूरिक एसिड़ क्लोराइड़ और सोडियम की भरपूर मात्रा पायी जाती है। साथ ही इसके अमोनिया, क्रि एटिनन तथा अनेक प्राकृतिक लवण पाये जाते है, जो मानव शरीर की शुद्धि तथा पोषण करते है। आयुर्वेद के अनुसार गौमूत्र महौषधि है जिसमें दर्द निवारक, पेट के रोगों से जुड़े रोग, स्किन प्रॉब्लम, श्वास रोग (दमा), आंतो से जुड़ी बीमारियां, अतिसार आदि के उपचार के लिये प्रयोग किया जाता है। दंत रोग से पीडि़त रोगी गौमूत्र का कुल्ला करने से दांत के दर्द को ठीक कर सकताा है। उसमें कार्बोलिक एसिड़ समाविष्ट है। बच्चों के सुखड़ी रोग में गौमूत्र का लैक्टोज बच्चों-बूढों को प्रोटिन प्रदान करता है। हदय की पेशियों को वेकअप करता है, वृद्धावस्था में दिमाग को कमजोर नहीं होने देता। दिमागी टेशंन की वजह से नर्वस सिस्टम पर बुरा असर पड़ता है, लेकिन गौमूत्र पीने से दिमाग और दिल, दांतो को ही ताकत मिलती है और उन्हें किसी भी किस्म की कोई बीमारी नहीं होती है। शरीर में पाये जाने वाले विभिन्न विषैले पदार्थो को बाहर निकालने के लिए गौमूत्र पीना बहुत ही लाभदायक है। आयुर्वेद के अनुसार शरीर में तीनों दोषों की गड़बडी की वजह से बीमारियों फैलती है। लेकिन गौमूत्र पीने से बीमारियां दूर हो जाती है। आयुर्वेद के अनुसार सुबह खाली पेट पीना चाहिए, गोमूत्र। ऐसा माना जाता है कि जब गाय खेत की तरफ देखती है, तो वह कई सारे औषधीय पत्ते खाती है, जिनके निशान उनके मूत्र में देखें जा सकते है। भारत में गौमूत्र का उपयोग चिकित्सालय प्रयोजनों के लिए बहुत लंबे समय से किया जाता रहा है। गर्भवती गाय के मूत्र को भी स्वस्थ माना जाता है, क्योंकि इसमें विशेष हार्मोन और मिनरल होने का दावा किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार कैंसर सहित विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारियों को ठीक करने के लिए नियमित सुबह खाली पेट गौमूत्र पीने की सलाह देता है। गौमूत्र में एंटीमाइक्रोबियल गुण होते है गौमूत्र में एंटीमाइक्रोबियल गुण पर्याप्त मात्रा में पाये जाते है। यूरिया क्रिएटिनिन, आयरन, हाइड्रॉक्साइड, कार्बोलिक एसिड और मैगनीज की उपस्थिति बीमारियों के इलाज में फायदेमंद हैं। इसमें एंटीमाइक्रोबियल पावर्स है जोंकि कोलाई साल्मानेला टाइफर्म, प्रोटियस वल्गेरिन, एस ऑरियस, बैसिलस सेरेस और स्टोफिलोकोकस एपिडामिडिस जैसे सामान्य परेशानी पैदा करने वाले रोग जनकों दूर कर सकती है। आधुनिक विज्ञान की क्या राय है गौमूत्र को लेकर जहाँ आयुर्वेद गौमूत्र पीने के फायदों की पुष्टि करता है, वहीं विज्ञान में इसका कोई प्रमाण नहीं है। गौमूत्र विशेष रूप से सोडियम पोटेशियम, क्रिएटिनिन फास्फोस और एपिथोलियम सेल्स जैसे मिनरल से समृद्ध है। बावजूद इसके साइंस इस बात का सपोर्ट नहीं करती है कि इसे पीने से स्वास्थ्य को किसी तरह के फायदे होते हैं। विज्ञान के अनुार इस मिनरलयुक्त उत्पाद का इस्तेमाल मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए किया जाता है, न कि स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के ईलाज के लिए विज्ञान में भले ही इस बात का प्रमाण न हो, लेकिन आयुर्वेद में गौमूत्र को स्वास्थ्य के लि बहुत लाभकारी माना गया है। पहाड़ी इलाके की गाय का मूत्र माना गया है ज्यादा फायदेमंद पहाड़ों पर जंगल में तथा चट्टानों पर चरने वाली गाय का गौमूत्र का आयुर्वेद की दृष्टि से ज्यादा फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि इन क्षेत्रों की गाय हरी घास के साथ इन क्षेत्रों में होने वाली औषधियों का सेवन करती है, जिससे उनका असर उनके दूध व मूत्र में आ जाता है और उनके सेवन से लाभ मिलता है। अगर कोई गाय ने बछड़े को जन्म दिया है तो ऐसी गाय का दूध या गौमूत्र बहुत फायदेमंद होता है। इसमें बहुत से पोषक तत्व होते है। वैज्ञानिक भाषा में बहुत स्वास्थ्यवर्धक हार्मोन और मिनिरल्स होते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि गाय के मूत्र और गोबर में अनेक औषधीय तत्व मौजूद होते है। यहाँ तक की गाय के दूध में गौमूत्र, घी, दही और गोबर को मिलाकर पंचगव्य तैयार किया जाता है। आयुर्वेद में पंचगव्य के औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। सुश्रुत संहित के अनुसार गाय से प्राप्त सभी चीजों में से गौमूत्र सेहत के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है। आयुर्वेद में गौमूत्र के अमृत तुल्य कहा गया है। नाइजीरिया और म्यांमार में भी दवाओं में गौमूत्र का इस्तेमाल किया जाता है। माना जाता है कि गर्भवती गाय का मूत्र बहुत ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक होता है, क्योंकि इसमे कुछ विशेष प्रकार के हार्मोंस पाये जाते हैं। गौमूत्र से लगभग 80 असाध्य रोगों और सेहत से संबंधित कई अन्य समस्याओं को ठीक किया जा सकता है। फर्श पर गौमूत्र का पोंछा लगाने से बैक्टीरिया नष्ट होता है। कॉस्मेटिक खासतौर पर शैम्पू और साबुन में भी गौमूत्र का इस्तेमाल किया जाने लगा है। गौमूत्र के फायदे 1. कैंसर रोगों में फायदेमंद है गौमूत्र: गौमूत्र का असर गले के कैंसर, आहार नली के कैंसर और पेट के कैंसर पर बहुत ही अच्छा माना जाता हैं। शरीर में जब करक्यूमिन नाम के तत्व की कमी होती है, तभी शरीर में कैंसर का रोग होता है। गौमूत्र में यही करक्यूमिन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसे पीने से तुरन्त बाद जितने भी अपचय पदार्थ होते हैं, वह पचने लगते है और इसका परिणाम आप तुरन्त देख सकते है। भारत में हुए एक अध्ययन के अनुसार कैंसर रोगियों में गाय के मूत्र को केन्द्रित करते हुए उपचार किया जाता है। ऐसा देखा गया है कि जिन लोगों को गले, स्तन के कैंसर थे उनकी स्थिति में 2-3 महीनों बाद गाय का मूत्र उपयोग में लाने से सुधार आने शुरु हो जाते है। 2. मोटापा कम करने में सहायक है गौमूत्र: गौमूत्र में विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन डी, क्रिएटिनिन और ऐसे कई खनिज पाये जाते है, जो वजन घटाने में मदद करते है। गाय के मूत्र में पाचन के लिए महत्वपूर्ण एंजाइम भी पाये जाते है। जो वजन घटाने की प्रक्रिया में सहायता करते है। मोटाप कम करने के लिए एक गिलास पानी में चार बूंद गौमूत्र के साथ दो चम्मच शहद ओर १ चम्मच नींबू का रस मिलाकर सेवन करने से मोटापे से छुटकारा मिलता है। 3. तिल्ली रोगों में फायदेमंद है गौमूत्र: गौमूत्र तिल्ली रोग बढऩे पर भी उपयोग में लाई जाने वाली औषधि है। 50 ग्राम गौमूत्र में नमक मिलाकर प्रतिदिन इसका सेवन करने से जल्दी लाभ मिलता है। इस रोग में रोग वाले स्थान पर गौमूत्र का सेक भी कर सकते है। इसके लिए एक साफ ईंट लेकर उसे थोड़ा गर्म कर लें और गौमूत्र से भिगायें हुए कपड़े में इसे लपेटकर रोग वाले स्थान पर हल्का-हल्का सेंके। इनसे प्लीहा घटने लगती है। यदि जोड़ों में दर्द है, तो भी दर्द वाली जगह पर गौमूत्र की सिकाई करने से आराम मिलता है। 4. त्वचा रोगों में फायदेमंद है गौमूत्र: ऐसा माना जाता है कि महिलाओं के लिए गाय के मूत्र का उपयोग मुहांसों और बालों से संबंधित समस्याओं से छुटकारा पाने में मदद करता हैं। साबुन, क्रीम और पाउडर जैसे सौन्दर्य उत्पाद रसायनों से बनायें जाते हैं, जो त्वचा से प्राकृतिक आकर्षण को दूर करते है। शरीर और चेहरे पर गाय मूत्र का उपयोग आपको प्राकृतिक चमक देता है। कई बार शरीर पर सफेद दाग या कुष्ठ रोग हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में बावची/बाकुची को गौमूत्र में मिलाकर पीस लें और इससे सफेद दागों पर रात्रि के समय लगायें और सुबह इस गौमूत्र से ही धोएं। ऐसा प्रतिदिन करने से कुछ दिनों में दाग बिल्कुल ठीक हो जायेंगे। अगर शरीर में अत्याधिक खुजली होती है तो आप जीरे में गौमूत्र मिलाकर इसके लेप को शरीर पर लगाना चाहिए। इससे भी खाज-खुजली दूर होती है। गौमूत्र अन्य त्वचा की बीमारियों जैसे एक्जि़मा, सोरायसिस आदि में भी फायदेमंद हैं। 5. गले के रोगों में रामबाण है गौमूत्र: गौमूत्र में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, ये उन हानिकारक बैक्टीरिया से लड़ते है, जिसके कारण गले में परेशानी होती है। गौमूत्र को गले में खरास के इलाज के लिए कुल्ला करने के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। कुल्ला करने के लिए गौमूत्र अर्क उपयोग करने की बजाय ताजा गौमूत्र का उपयोग करें। आप 1 चम्मच गौमूत्र लेकर हल्का सा गर्म करें, अब इसमें 1 चम्मच शहद,
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